बहन के बारे में

बहन कस्तूरी का जन्म छब्बीस सितम्बर उन्नीस सौ छब्बीस ( 26 .09 . 1926 ). ( आश्विन माह, कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथी ) को महाराज नगर, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में हुआ था | उनके दादा पंडित जगननाथ प्रसाद पुलिस अधिक्षक (Superintendent police ) के पद पर आसीन थे | उनके तीन पुत्र और एक पुत्री थी | बड़े बेटे का नाम पंडित रामदास चतुर्वेदी, द्वितीय पुत्र का नाम पंडित एम्. एल. चतुर्वेदी तथा कनिष्ट पुत्र पंडित दयानंद चतुर्वेदी थे | श्री एम्. एल. चतुर्वेदी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जज थे तथा पंडित दयानंद चतुर्वेदी अलीगढ में अधिवक्त्ता रहे | पंडित रामदास चतुर्वेदी लखीमपुर में ही वकील थे | पंडित रामदास जी की पाँच पुत्रियाँ एवं दो पुत्र हुए | संत कस्तूरी उनकी तीसरी संतान थी | बहन कस्तूरी की माता श्रीमती भगवती देवी परम सुशील, गृह कार्यों में दक्ष एवं साध्वी महिला थीं |

संत कस्तूरी ने अपना सम्पूर्ण जीवन दिव्य विभूति श्री बाबूजी महाराज ( श्री रामचन्द्र, शाहजहाँपुर ) की सेवा और उनके द्वारा प्रतिपादित अध्यात्मिक कार्य में लगाया I उनके हर कार्य जैसे प्रवचन, सत्संग, गीत, गायन और बाबूजी से सम्बधिंत हर कार्य में दिव्यता की झलक होती थी| उनके कार्य में सदैव श्री बाबूजी महाराज की सामिप्यता का अनुभव होता था|

बहन कस्तूरी दिव्य प्रेम और भकित का जीता जागता उदाहरण रही है| श्री बाबूजी महाराज से उन्होंने अपने जीवन में जो सीखा वही दूसरों को सिखाया और उसे अपने जीवन में खुद उतार कर दिखाया| उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पूज्य सदगुरू श्री बाबूजी महाराज में पूरी आस्था से समर्पित होकर व्यतीत किया| श्री बाबूजी जी महाराज ने खुद कहा कि संत कस्तूरी ने उनमें लयअवस्था प्राप्त कर ली है| उनको हम सभी प्यार से बहनजी या जिज्जी कहकर पुकारते है पर उनका स्नेह हम सब पर माँ की तरह रहा|